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कांग्रेस की उंगली पॉवर

RASHTRA BHAW
RASHTRA BHAW
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cong fingerकांग्रेस अपना चुनाव चिन्ह बदल रही है, अब कांग्रेस का नया चुनाव चिन्ह हाथ नहीं उंगली होगी, ऐसा कांग्रेस अपने चिन्ह को यथार्थपरक और सजीव रूप में प्रस्तुत करने के लिए कर रही है| कांग्रेस और उंगली का रिश्ता उतना ही प्राचीन है जितनी कि कांग्रेस अर्थात कांग्रेस के साथ साथ उंगली कांग्रेस का यह रिश्ता भी अपनी १२५वीं बर्षगांठ मना चूका है|
कांग्रेस से हमारा आपका परिचय है ही और फिर नैनोटेक्नोलोजी के दौर में ज्यादा की जरूरत भी नहीं, बस सोनिया जी को जान लीजिये राहुल प्रियंका को जान लीजिये समझो पूरी कांग्रेस को जान लिया.!
चलिए आपको उंगली के बारे में बताता हूँ, हमारे भारतबर्ष में प्राचीन काल से उंगली का बड़ा महत्व और विशिष्ट दर्जा रहा है| उंगली के कारण कई युद्ध कई महान परिवर्तन हुए हैं| आपको मेरी बात समझ नहीं आती तो किसी को उंगली दिखा के देख लीजिए..! गोलमाल वाले अजय देवगन याद हैं ना.?
उंगली के महत्व को स्पष्ट करते हुए कई मुहावरे हैं भारतीय समाज में जैसे- १- उंगली पकड़कर चलना सीखना २- उंगली पकड़कर पंहुचा (कलाई) पकड़ना ३- उंगली दिखाना ४- उंगली उठाना ५- (अति विशिष्ट मुहावरा) उंगली करना आदि-आदि..!
कांग्रेस में सारा काम तो बस उंगलियों का ही है हथेली तो बेचारी बस गलती से ही लटकी है| आप पूछेंगे ५ उंगली क्यों, ऊपर के ५ महत्वपूर्ण कामो के लिए| प्रत्येक उंगली अपने-अपने उत्तरदायित्वों की सूचक है आप इन्हें १-१ मंत्रालय समझिये|
चलना सिखाने वाली उंगली नेहरु परिवार की अपनी बपौती है| नेहरु ने गाधीजी की उंगली पकड़ी और गाँधी जी के ही उंगली करते हुए देश के पहले प्रधानमन्त्री बन बैठे| नेहरु की उंगली पकड़कर इंदिराजी ने चलना सीखा और चलते-चलते प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुँच गईं| इंदिराजी की उंगली मिली राजीव को …वो भी प्रधानमन्त्री.! अब राजीव जी पर थोडा संशय है कि लन्दन के रेस्त्रां में सोनिया ने उनकी उंगली पकड़ी या नैनों से तीर कुछ ऐसे चले कि राजीव जी ही उनकी उंगली पकड़कर पहुंचा पकड़ बैठे.? खैर जो भी हो लेकिन हम सभी जानते हैं कि इस उंगली ने उंगली जाति के गरिमामयी महत्व और प्रभाव को पूर्णतः प्रकट कर दिया| धन्य है वह उंगली जिसने होटल की एक इटालियन वेटर को आर्यों के महान भारतबर्ष की मंत्री प्रधानमंत्री नहीं साम्राज्ञी बना दिया| इस साम्राज्य ने सदियों से हूणों, कुषाणों, इस्लामी और फिर अंग्रेजी लुटेरों को ललचाया, कितने ही युद्ध हुए कितने ही बलिदान..! लोकतंत्र का चोंचला आने के बाद बर्षों से खाली पड़े उसी साम्राज्य के साम्राज्ञी पद पर एक उंगली ने सोनिया माइनो को इटली से ला बिठाला.! एक रक्तहीन क्रांति की जननी उस महान उंगली को शत-शत प्रणाम!
अब सोनिया की उंगली पकड़कर प्रियंका बड़ी हुईं, राहुल बाबा बड़े हुए और अचानक इतने बड़े हुए कि उनके सामने पूरी कांग्रेस छोटी, राष्ट्रपति छोटी, प्रधानमंत्री छोटा.! पता नहीं कब बेचारे मनमोहन को उंगली से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए.? खैर अभी तो वो १०जनपथ से होने बाले उंगली के इशारों को बखूबी समझ रहे हैं!
यदि आप कांग्रेसी नेता बनना चाहते हैं और पद पैसा व अवसर बटोरना चाहते हैं (कलमाड़ी की तरह) तो आप कांग्रेस की उंगली नीति नंबर २ सीखना होगा अर्थात किसी कांग्रेसी नेता की उंगली पकडिये और मौका पाते ही पहुंचा लपक लीजिये, इसी तरह आपको क्रमशः बड़े नेता की उंगली मिलती जाएगी और आप उनका पंहुचा लपकते जाइए और साथ ही आत्मोत्थान के तमाम सुअवसर भी जिन्हें कांग्रेसी ६५ सालों से लपक रहे हैं| लेकिन १०जनपथ की उंगली के इशारों को समझते रहिएगा…. बाकी फिर आपकी पांचों उंगली घी में…!
कांग्रेस को (नेहरु परिवार को) कोई उंगली दिखाए यह उसे बिलकुल पसंद नहीं अतः कांग्रेस सुषुप्त ज्वालामुखी की भांति अपनी जबाबी उंगली सदैव तैयार रखती है| देश दशकों तक कांग्रेस की उंगली देखकर चलता रहा किन्तु जब JP ने कांग्रेस को सही दिशा दिखाने के लिए उंगली उठाई तो इंदिराजी ने लोकतंत्र संविधान सहित पूरे देश को उंगली (ठेंगा) दिखाते हुए आपातकाल लगाकर पूरे देश के उंगली कर दी! इंदिराजी के बाद उनकी मौत के लिए कुछ सिखों पर उंगली उठी तो कान्ग्रेसिओं ने पूरे पगड़ी समुदाय को अपनी उंगली के निशाने पर ले लिया और सिखों को कांग्रेसी उंगली की ताकत बता दी!
आज तो कांग्रेस पर उंगली उठाने बालों के लिए कपिल सिब्बल जैसों के नियंत्रण में एक स्वतंत्र जबाबी उंगली मंत्रालय की स्थापना कर दी गयी है, बाबा रामदेव इसकी चोट खा चुके हैं और अब अन्ना की बारी है.!
इसके बाद है कांग्रेस की उठाने की उंगली जोकि आजकल विशेष सक्रिय है| इस उंगली विभाग के वर्तमान विभागाध्यक्ष दिग्विजय सिंह (दिग्गी बाजा) हैं जो जहाँ देखिये जिस पर देखिये मौके बेमौके उंगली उठाते रहते हैं| कभी कभी तो हडबडाहट में इनकी उंगली अपनी सरकार के मंत्रियों पर ही उठ जाती है जिसे १०जनपथ की फटकार खाकर नीचे करना पड़ता है| संघ पर तो इनकी उंगली हमेशा तनी रहती है, ये बाटला हाउस मुठभेंड पर और शहीद इंस्पेक्टर मोहनचन्द्र शर्मा के बलिदान पर भी उंगली उठाते हैं, मुंबई हमलों तक पर इनकी उंगली उठ जाती है और जो काम पाकिस्तान को करना चाहए वो इनकी उंगली बखूबी करती है| इस समय बाबा रामदेव और अन्ना हजारे इनकी उंगली के निशाने पर हैं| शायद दिग्विजय सिंह एक उंगली सीधी किये हुए ही पैदा हुए हों…..
उंगली करना एक मुहावरा है जिसका अर्थ है अकारण दखलंदाजी या/और परेशानी पैदा करना| उंगली करना कांग्रेस का जन्मसिद्ध अधिकार है क्योंकि ए.ओ. ह्युम साहब ने देश के उंगली करने के लिए ही कांग्रेस की स्थापना की थी| कांग्रेस आज भी इसे वैसे ही अपनी नैतिक जिम्मेदारी मानती है जैसे अल-कायदा जेहाद को.!पहले नेहरु ने उंगली की तो देश विभाजन हो गया फिर जब सरदार पटेल देश की ६७ रियासतों का विलय कर रहे थे तो नेहरु ने कश्मीर मामले में अपने उंगली कर दी और कश्मीर आज भी पूरे देश के उंगली किये हुए है| आजादी के ६५ बर्षों में कान्ग्रेसिओं ने इस उंगली परंपरा को जीवित रखा और आज भी कांग्रेस की उंगली आम आदमी के साथ है| आज कांग्रेसी उंगली और आम आदमी का साथ फेविकोल के जोड़ की तरह इतना प्रगाढ़ हो गया है कि आप इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते.!
आप खरीददारी करने बाजार जाएँ तो उंगली, यात्रा करने निकलें तो उंगली, बच्चे पढ़ाने की सोचें तो उंगली, शादी-व्याह रचाने की सोंचें तो उंगली, घर में दो जोर की रोटी में भी उंगली..! बच्चे के जनम से लेकर मुर्दे के कफ़न तक महगाई डायन का रूप धरे कांग्रेस की उंगली हर जगह आम आदमी के साथ है.!
अब परेशान होकर बाबा सन्यासी भी बन नहीं सकते क्योंकि भगवाधारी तो आतंकवादी है बाबू….
देश की आतंरिक और बाह्य सुरक्षा में तो कांग्रेस ने १९४७ से ही उंगली कर रखी है अब नया सांप्रदायिक कानून बनाकर जिसके तहत किसी भी साम्प्रदायिक दंगे के लिए हिन्दू ही दोषी और सजायोग्य होगा, भाईचारे के रहे बचे अवशेषों में भी उंगली करने की पूरी तयारी हो गई है|
अब तो आप कांग्रेस और उंगली के सनातन रिश्ते को समझ ही गए होंगे.! मायावती ने इस मसले को बखूबी समझा और पूरे उत्तर प्रदेश में अपनी और अम्बेडकर की उंगली उठाए मूर्तियाँ (जैसी कि पहले लगती थीं) लगवाना बंद कर दीं यह भांपते हुए कि उंगली का सीधा फायदा कांग्रेस को होगा|
हाथ तो मात्र एक धोखा है या गलती..! कांग्रेस की तो मात्र उंगली है, बताते हैं कांग्रेस अपना चुनाव चिन्ह भी इसीलिए बदलना चाहती है क्योंकि राहुल गाँधी को दिग्विजय सिंह ने समझाया है कि हाँथ तो RSS का है.! गांधीजी की हत्या हुई तो RSS का हाथ, JP ने आन्दोलन किया तो RSS का हाथ, समझौता एक्सप्रेस व मालेगांव विस्फोट हुए सबूत नहीं फिर भी RSS का हाथ, रामदेव ने कालाधन वापस लाने के लिए आन्दोलन किया तो RSS का हाथ, अन्ना ने लोकपाल की मांग की तो RSS का हाथ..! अब बताइए हाथ कांग्रेस का है कौन कहेगा..?
हाथ तो जगन्नाथ है, जगन्नाथ तो हिन्दुओं के भगवान हैं, हिन्दू, हिन्दुओं के चिन्ह, हिन्दुओं का रंग, हिन्दुओं के भगवान तो साम्प्रदायिक हैं, अल्पसंख्यकों की भावना के खिलाफ हैं, सेकुलरिज्म के खिलाफ है, कांग्रेस तो सेकुलर है…… अब भला बताइए कांग्रेस का हाथ कैसे हो सकता है..?
कांग्रेस की तो उंगली है आम आदमी के साथ.! जीवन के साथ भी जीवन के बाद भी..!

BY- वासुदेव त्रिपाठी.

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