खून दिया है खून लिया है: स्वातंत्र्य गीत
लाखों आँचल रिक्त हुए हैं।
लाखों दामन तिक्त हुए हैं।
यौवन की लाखों आँखों के,
शैशव सपने रक्त हुए हैं।।
प्रस्फुटित कली भी जब मशाल बन हक लेने के लिए जली है,
खून लिया है खून दिया है, तब आजादी हमें मिली है॥
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जलती लाशों की लपटों से,
रक्त धरा और गगन हुए हैं।
कण-कण के स्वर उद्द्वेलित हो
क्रान्ति राग के पवन हुए हैं।
अपने पूतों के खूँ से ही.,
रंगा भारती का दामन है।
कितने दफन हुए जीवित ही,
कितने जीवित हवन हुए हैं.!
और कोख की औलादें जब, बलिदानों के लिए पलीं हैं।
खून लिया है खून दिया है तब आजादी हमें मिली है॥
………..
गंगा की पावन धार संग ही,
शोणित की अविरल धार बही है।
हर वाणी प्रतिशोधों की.,
प्रतिकारों की तलवार रही है।
दीं नर-आहुतियाँ क्रांति कुंड में,
तब भारत माँ आजाद हुई है,
ये शांति अहिंसा के खेलों का,
छोटा सा उपहार नहीं है॥
लाखों दीप बुझे तब जाकर आजादी की किरण खिली है।
खून लिया है खून दिया है तब आजादी हमें मिली है॥
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(15 अगस्त 2007, बुधवार)
note :- कविता लेखक की मौलिक रचना है जिसका किसी भी रूप में अनाधिकृत प्रयोग अवैध होगा| (all rights reserved )
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